English क्यों नहीं सीख पाएँ?
English क्यों नहीं सीख पाएँ?
English क्यों नहीं सीख पाएँ?
क्या आपने कभी जानने की कोशिश कि हम English क्यों नहीं सीख पाएँ? जबकि एक हिंदी माध्यम का student class 6th से लेकर class 12th तक अपने स्कूल में English सीखता है। सात साल Grammar पढ़ने के बावजूद भी हम केवल एक line ही सीख पाते हैं "May I come in sir"? आखिर ऐसा क्यों होता है? क्या हम इंग्लिश में कमजोर हैं या हम पढ़ाई में Poor हैं? जी नहीं, यदि ऐसा होता तो हम बाकी विषयों में अच्छे अंक न ला पाते ।
हो सकता है हमारे Teachers जो हमें सीखा रहे हैं, वे कमजोर हो, जी नहीं, ऐसा बिल्कुल भी नही हैं, तो शायद अंग्रेजी भाषा ही कठिन हो। ऐसा तो बिल्कुल भी नहीं है। आज पूरी दुनिया के हर एक कोने में बड़ी आसानी से इंग्लिश बोली जा रही है । तो समस्या कहाँ है?
समस्या है पढ़ाने के तकनीक में । Science कहता है कि एक छोटा बच्चा भी बड़े से बड़े पत्थर का हिला सकता है बशर्ते तकनीक सही हो, और अगर तकनीक गलत है, तो एक पहलवान भी सुई नहीं उठा सकता।
वास्तव में किसी भी कठिन कार्य को करने के लिए सही तकनीक का होना जरुरी है। फिर वही कार्य आसान लगने लगता है। अब आप सोच रहे होंगे कि सही तकनीक है क्या? इसे एक प्रश्न के माध्यम से समझाया जा सकता है| नीचे हम आपको कुछ शब्द दे रहे हैं उनका आप अर्थ लिखें:-
तोड़ना…………………………………………………….………….………….………….
अंगूर…………………………………………………….………….………….………….
उधार लेना…………………………………………………….………….………….………….
समझाना…………………………………………………….………….………….………….
खोदना…………………………………………………….………….………….………….
पीटना…………………………………………………….………….………….………….
अब हम आपको कुछ English के शब्द दे रहे है उनके हिंदी में अर्थ लिखें-
Grapes…………………………………………………….………….………….………….
Describe…………………………………………………….………….………….………….
Break…………………………………………………….………….………….………….
Borrow…………………………………………………….………….………….………….
Beat…………………………………………………….………….………….………….
Dig …………………………………………………….………….………….………….
यह एक मजेदार घटना है, शायद आपको कुछ बातें स्पष्ट हो पाई होगी कि आप हिंदी शब्दों का इंग्लिश में अर्थ नहीं बता पाये होंगे, लेकिन इंग्लिश शब्दों का आसानी से हिंदी में अर्थ बता दिये होंगे। English में दिए गए शब्द, ऊपर में दिए गए हिंदी के शब्दों के ही अर्थ है। लेकिन हम फिर भी नहीं बता पाये।
इसके पीछे कारण यह है कि जब हम स्कूल में थे तो हमें इंग्लिश के शब्दों का हिन्दी में अर्थ रटाया गया था, न कि किसी हिन्दी शब्द को इंग्लिश में क्या कहा जाता है, बताया जाता था।
जब हम किसी से इंग्लिश में बात करने की कोशिश करते हैं, तो हमे इंग्लिश के शब्द परेशान नहीं करते बल्कि हिन्दी के शब्द परेशान करते है, और हम बात करते समय अटक जाते हैं और यह सोच में पड़ जाते हैं कि “ तोड़ना को क्या कहते हैं? या “उधार देना" को क्या कहते हैं? और उस समय “तोड़ना” के लिए Break शब्द याद नहीं आता क्योंकि हमने Break के लिए “तोड़ना” याद किया है, न कि “तोड़ना” के लिए “Break” याद किया है।
ठीक उसी तरह हमारा Grammar पढ़ने या पढ़ाने का तरीका गलत है। हमें स्कूल में पढ़ाया जाता है कि Present Indefinite का प्रयोग फलां स्थान पर, Can का प्रयोग फलां स्थान पर और Should का प्रयोग किसी खास स्थान पर किया जाता है जो कि एक गलत तरीका है, जबकि सही तरीका इसके विपरीत है जब फलां अवस्था में हो तो Present Indefinite का प्रयोग करें, फला-फलां में हो तो Can आदि।
वास्तव में व्यक्ति किसी भाषा को इसलिए सीखता है ताकि अपनी भावनाओं को अच्छे से व्यक्त कर पायें या हम कहें कि व्यक्ति जिन अवस्थाओं में होता है उसके अनुसार शब्दों का, वाक्यों का, ग्रामर का चुनाव करता है अतः हमें इस बात पर जोर देना चाहिए कि हम अपनी अवस्था के अनुसार अपनी भावनाओं को English में किस तरह से व्यक्त करें।
मान लीजिये कोई आपको Challenge करे तो उस अवस्था में अपनी भावनाओ को Can से व्यक्त करे उसी तरह यदि हम किसी कार्य को नहीं कर पाते क्योंकि हम मजबूर है। या जैसे आपका कोई दोस्त आपको कहता है चलो सिनेमा देखने चलें, लेकिन आप नहीं जा पाते क्योंकि किसी कार्य को आप मजबूरन कर रहे हों तब उस अवस्था में अपने मजबूरन किये जाने वाले कार्य को have to या has to से दर्शा सकते हैं।